श्रीगुप्त काल-हेल्लो गाइज हमारी वेबसाइट Ndk education में आप सभी लोगों का स्वागत है, आज की आर्टिकल में हम श्रीगुप्त काल क्या है ! इसके बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे !
चीनी यात्री इसने मंदिर का निर्माण करवाया था
इसने महराज की उपाधि धारण की! उस समय छोटे सामंत महराज की उपाधी करते हैं
पारभावति गुप्त के पूना अभिलेख में श्री गुप्त की जानकारी मिलती है !
घटोत्कच (280-319):-
चन्द्रगुप्त (319-335):-
इस वंश का वास्तविक संस्थापक !
319 में गुप्त सम्बन्ध चलाया !
लिच्छवि राजकुमारी कुमारी देवी से विवाह हुआ ा
कुमारी देवी का अपने सिक्को पर अड़कन करवाया !
कुमारी देवी के नाम के आगे श्री लगवाया !
इन सिक्कों को राजा रानी के सिक्के एवं विवाह प्रकार का सिक्के कहा जाता है !
समुन्द्र गुप्त(335-375) :-
इस वंश का सबसे महान शासक !
इसकी जानकारी हरिषेण द्वारा लिखित प्रयाग प्रशस्ति से मिलती है !
यह महान सेननायक एवं विजता था !
अपने अभियान के प्रथम चरण में उत्तर भारत के 9 शासकों को पराजित किया एवं उनके साथ प्रसभोद्वारण (राजा के वंश को समूल नाश करना) की निति अपनाई एवं इनके राज्य का विलय अपने राज्य में कर लिया !
Q.सिंधु घाटी/हड़प्पा सभ्यता का पहला पार्ट ?
द्वितीय चरण में दक्षिण भारत के 12 शासकों को पराजित किया!
ग्रहणमोक्षानुग्रह की निति अपनाई !
इसके तहत शासको को पराजित करके उन्हें पुनः मुक्त किया गया तथा राज्य वापस लौटा कर अनुग्रहित किया, एवं उनसे टैक्स (कर) वसूला !
तृतीया चरण में उत्तर भारत के समस्त राजाओ शक ,कुषाणों को पराजित किया !
इसने असम को विजित किया !
इसने धरनीबंद की उपाधि धारणा की, समुन्द्र गुप्त ने 6 प्रकार (6 type ) के सिक्के चलाएं !
(1 ) गरूड़ प्रकार के सिक्के
गुप्तों को राजकीय धर्म, वैष्णव धर्म
(2) अश्वमेध यज्ञ प्रकार के सिक्के
अश्वमेध यज्ञ की जानकारी केवल उसके सिक्के प्राप्त होती है !
(3) विणावादन प्रकार के सिक्के
समुद्र गुप्त , विणा वादन करता था !
(4 )परशु प्रकार के सिक्के
(5) धनुर्धर सिक्के
(6) व्याग्रहन्ता सिक्के
बाघ
इतिहासकार स्मिथ ने समुन्द्र गुप्त को भारत का नेपोलियन कहा है !
इसने लिच्छविदोहित्र की उपाधि की थी !
समुद्र गुप्त शासनकाल के 'काच' नामक व्यक्ति के सिक्के भी मिलते हैं ! जो सम्भवत: समुद्र गुप्त का ही दूसरा नाम है !
या फिर समुन्द्र गुप्त का कोई प्रतिद्वंदी भाई रहा होगा !
चन्द्रगुप्त-2 (375-414):-
चन्द्रगुप्त ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन करवाया !
विक्रमादित्य की उपाधि धारण की !
इसने शक शासक रुद्रसिंह-3 को पराजित कर हत्या की शाकारि की उपाधि धारण की !
चंद्रगुप्त ने चाँदी के सिक्के चलाये चन्द्रगुप्त ने ध्रुस्वमिनी से विवाह किया !
चन्द्रगुप्त ने अपनी बेटी प्रभावती गुप्त का विवाह वाकाटक नरेश रुद्रसेन-2 से करवाया !
कालांतर में रुद्रसेन-2 की मृत्यु हो गई , एवं शासन का कार्य प्रभावती गुप्त के हांथो में आ गया !
दिल्ली के महरौली स्थित लौहस्तंभ से जानकारी मिलती है की इसने बाहलिकों को पराजित किया !
फाहयान :-
399 में एक चीनी यात्री फाहयान भारत आया !
यह स्थल मार्ग से भारत आया था !
यह बड़गाल के प्रसिद्ध ताम्रलिप्ति बंदरगाह से जलमार्ग द्वारा श्रीलंका होते हुई पुनः चीन लौटा है !
फाहयान के अनुसार भारत में मुद्रा प्रणाली नहीं थी !
भारतीय कोड़ियों से व्यापार करते थे !
फाहयान की पुस्तकें :-
फो -क्वो -की
चन्द्रगुप्त के दरबार में कुछ विद्वान रहते थे, जिन्हे 'चंद्रगुत के नवरत्न ' कहते हैं !
चन्द्रगुप्त के निम्न नवरत्न :-
गुप्त कालीन सर्वाधिक सिक्के इसी समय प्राप्त होता है !
राजस्थान में भरतपुर के पास बयाना से सिक्को का ढेर मिलता है !
गुप्तकालीन सर्वाधिक अभिलेख भी कुमार गुप्त के मिलते हैं !
कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविधालय का निर्माण करवाया !
यह जानकारी चीनी यात्री हेनसांग (हवेंसवाड़ ग) से मिलती हैं, हवेंसवाड़ग के अनुसार नालंदा विश्विधालय का निर्माण शक्रादित्य ने करवाया !
कुमारगुप्त के समय मध्य एशियाई बर्बर पुष्यमित्रों ने आकर्मण किया !
कुमारगुप्त के पुत्र स्कन्दगुप्त पुष्यमित्रों को पराजित किया !
यह जानकारी भीतरी अभिलेख UP से मिलती है !
कुमारगुप्त के मयूर शैली के सिक्के प्रसिद्ध है !
स्कंदगुप्त :-
इसने कोटा के पास बाडोली में शिव मंदिर का निर्माण करवाया !
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WRITTEN BY DK EDUCATUION
श्रीगुप्त :(240-80AD) :-
गुप्त साम्राज्य |
इसने महराज की उपाधि धारण की! उस समय छोटे सामंत महराज की उपाधी करते हैं
पारभावति गुप्त के पूना अभिलेख में श्री गुप्त की जानकारी मिलती है !
घटोत्कच (280-319):-
चन्द्रगुप्त (319-335):-
इस वंश का वास्तविक संस्थापक !
319 में गुप्त सम्बन्ध चलाया !
लिच्छवि राजकुमारी कुमारी देवी से विवाह हुआ ा
कुमारी देवी का अपने सिक्को पर अड़कन करवाया !
कुमारी देवी के नाम के आगे श्री लगवाया !
इन सिक्कों को राजा रानी के सिक्के एवं विवाह प्रकार का सिक्के कहा जाता है !
समुन्द्र गुप्त(335-375) :-
इस वंश का सबसे महान शासक !
इसकी जानकारी हरिषेण द्वारा लिखित प्रयाग प्रशस्ति से मिलती है !
यह महान सेननायक एवं विजता था !
अपने अभियान के प्रथम चरण में उत्तर भारत के 9 शासकों को पराजित किया एवं उनके साथ प्रसभोद्वारण (राजा के वंश को समूल नाश करना) की निति अपनाई एवं इनके राज्य का विलय अपने राज्य में कर लिया !
Q.सिंधु घाटी/हड़प्पा सभ्यता का पहला पार्ट ?
द्वितीय चरण में दक्षिण भारत के 12 शासकों को पराजित किया!
ग्रहणमोक्षानुग्रह की निति अपनाई !
इसके तहत शासको को पराजित करके उन्हें पुनः मुक्त किया गया तथा राज्य वापस लौटा कर अनुग्रहित किया, एवं उनसे टैक्स (कर) वसूला !
गुप्त साम्राज्य |
तृतीया चरण में उत्तर भारत के समस्त राजाओ शक ,कुषाणों को पराजित किया !
इसने असम को विजित किया !
इसने धरनीबंद की उपाधि धारणा की, समुन्द्र गुप्त ने 6 प्रकार (6 type ) के सिक्के चलाएं !
(1 ) गरूड़ प्रकार के सिक्के
गुप्तों को राजकीय धर्म, वैष्णव धर्म
(2) अश्वमेध यज्ञ प्रकार के सिक्के
अश्वमेध यज्ञ की जानकारी केवल उसके सिक्के प्राप्त होती है !
(3) विणावादन प्रकार के सिक्के
समुद्र गुप्त , विणा वादन करता था !
(4 )परशु प्रकार के सिक्के
(5) धनुर्धर सिक्के
(6) व्याग्रहन्ता सिक्के
बाघ
इतिहासकार स्मिथ ने समुन्द्र गुप्त को भारत का नेपोलियन कहा है !
इसने लिच्छविदोहित्र की उपाधि की थी !
समुद्र गुप्त शासनकाल के 'काच' नामक व्यक्ति के सिक्के भी मिलते हैं ! जो सम्भवत: समुद्र गुप्त का ही दूसरा नाम है !
या फिर समुन्द्र गुप्त का कोई प्रतिद्वंदी भाई रहा होगा !
राम गुप्ता :-
इसके भाई चंद्रगुप्त-2 ने इसकी हटिया कर दी होगी !चन्द्रगुप्त-2 (375-414):-
चन्द्रगुप्त ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन करवाया !
विक्रमादित्य की उपाधि धारण की !
इसने शक शासक रुद्रसिंह-3 को पराजित कर हत्या की शाकारि की उपाधि धारण की !
चंद्रगुप्त ने चाँदी के सिक्के चलाये चन्द्रगुप्त ने ध्रुस्वमिनी से विवाह किया !
चन्द्रगुप्त ने अपनी बेटी प्रभावती गुप्त का विवाह वाकाटक नरेश रुद्रसेन-2 से करवाया !
कालांतर में रुद्रसेन-2 की मृत्यु हो गई , एवं शासन का कार्य प्रभावती गुप्त के हांथो में आ गया !
दिल्ली के महरौली स्थित लौहस्तंभ से जानकारी मिलती है की इसने बाहलिकों को पराजित किया !
फाहयान :-
399 में एक चीनी यात्री फाहयान भारत आया !
यह स्थल मार्ग से भारत आया था !
यह बड़गाल के प्रसिद्ध ताम्रलिप्ति बंदरगाह से जलमार्ग द्वारा श्रीलंका होते हुई पुनः चीन लौटा है !
फाहयान के अनुसार भारत में मुद्रा प्रणाली नहीं थी !
भारतीय कोड़ियों से व्यापार करते थे !
फाहयान की पुस्तकें :-
फो -क्वो -की
चन्द्रगुप्त के दरबार में कुछ विद्वान रहते थे, जिन्हे 'चंद्रगुत के नवरत्न ' कहते हैं !
चन्द्रगुप्त के निम्न नवरत्न :-
- कालीदास
- बरामिहिर
- अमर सिंह वेताल
- भट्ट
- चंद्र गामिन
कुमारगुप्त :-
उपाधियाँ :-
महेन्द्रद्वित्य एवं शक्राद्वित गुप्त कालीन सर्वाधिक सिक्के इसी समय प्राप्त होता है !
राजस्थान में भरतपुर के पास बयाना से सिक्को का ढेर मिलता है !
गुप्तकालीन सर्वाधिक अभिलेख भी कुमार गुप्त के मिलते हैं !
कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविधालय का निर्माण करवाया !
गुप्त साम्राज्य |
कुमारगुप्त के समय मध्य एशियाई बर्बर पुष्यमित्रों ने आकर्मण किया !
कुमारगुप्त के पुत्र स्कन्दगुप्त पुष्यमित्रों को पराजित किया !
यह जानकारी भीतरी अभिलेख UP से मिलती है !
कुमारगुप्त के मयूर शैली के सिक्के प्रसिद्ध है !
स्कंदगुप्त :-
भीतरी अभिलेख (पुष्यमित्रों को पराजित किया )!
स्कन्द गुप्त के समय मध्य एशियाई बर्बर जाति 'हूणों ' ने अक्रमण किया !
स्कन्द गुप्त ने हुणों को पराजित किया, यह जानकारी गिरनार अभिलेख (जूनागढ़ अभिलेख है )
जुनागढ़ अभिलेख :-
हूणों को पराजित किया !
स्कन्दगुप्त के गवर्नर पर्णदत्त के पुत्र चक्रपालित ने सुदर्शन झील का पुननिर्माण करवाया !
सुदर्शन झील :- (गिरनार , गुजरात)
शासक गवर्नर
निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य विष्यगुप्त मित्र
पुनः निर्माण तुषास्फ(यूनानी )
पुनः निर्माण सुविशाख
पुनः निर्माण चक्रपालित (पर्णदत्त का पुत्र)√
पुनः निर्माण चक्रपालित (पर्णदत्त का पुत्र)√
इससे मौर्य एवं अन्य शासको के जनकल्याणकारी निति एवं कार्यों की जानकारी मिलती है ! अथार्त शासक जनकल्याण हेतु झीलों ,तालाबों ,जल स्त्रोंतों का निर्माण एवं पुनः निर्माण करवाते थे ! सुदर्शन झील इसका सर्वेष्ठ उदहारण है !
हूण :-
मध्य एशियाई बर्बर जाति !
भारत आने वाले प्रथम व्यक्ति :-
तिगिन :-
तिगिन का पुत्र :- तोरमान
प्रथम प्रसिद्ध हुण शासक :- मिहिरकुल (तोरमान का पुत्र)
मिहिरकुल:-
भगवान शिव का अनुयायी था !इसने कोटा के पास बाडोली में शिव मंदिर का निर्माण करवाया !
गाइज हमने श्रीगुप्त काल के बारे में जो भी जानकारी दिया हूँ ! यह इनफार्मेशन आप लोगों के साथ शेयर किया हूँ ! अगर यह आर्टिकल आपको अच्छा लगे, तो इसे आप सोशल मिडिया और अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें ! ताकि उसे भी श्रीगुप्त काल के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकें ! यह आर्टिकल आपको कैसा लगा आप कॉमेंट जरूर करें, इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई भी सवाल (प्रश्न) है, तो आप कॉमेंट में पूछ सकते हैं, या इससे सम्बंधित कोइ सुझाव है, तो आप हमें कॉमेंट या मेल कर सकते हैं !
WRITTEN BY DK EDUCATUION
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