धार्मिक क्रांति/पुष्यभूति वंश
मेरे आर्टिकल में आपका स्वागत है, इस आर्टिकल में हमलोग धार्मिक क्रांति और पुष्यभूति वंश के बारे में पढ़ेंगे, और इसका महत्वपूर्ण प्रश्न को जानेंगे, चलिए दोस्तों आर्टिकल को शुरू करते हैं !
धार्मिक क्रांति/पुष्यभूति वंश :-
धार्मिक क्रांति |
उत्तर वैदिक काल के अंत में समाज में धार्मिक हुई !
कारण :-राजनितिक कारण :- पुष्यभूति वंश
उत्तर वैदिक काल में अधिवेश उत्पादन पर अधिकार को लेकर ब्राह्मणों एवं क्षत्रियों में संधर्ष हुआ ! आख़िरकार ब्रह्मणों को पर्तिकाक्तमत , सर्वश्रेस्ता सौंप दी गयी !एवं अधिवेश उत्पादन पर क्षत्रीयों का अधिकार हो गया !
अंत में क्षत्रिय अधिक शक्तिशाली हो गया ! उन्हें अब ब्राह्मणो के सहयोग की आवस्यकता नही थी !
अतः ब्राह्मणो ने इस क्रांति में हिस्सा लिया !
आर्थिक कारण :-
अधिवेश उत्पादन के कारण वैश्यों की आर्थिक स्थिति सुहृद हो गयी थी ! इसलिए वे समतामुलक समाज की इच्छा रखते थे !
ब्राह्मण धर्म के यज्ञ-अनुष्ठानों में पशुओं की बलि दी जाती थी !एवं पशु उस समय कृषि-आधारित अर्थवयवस्था का प्रमुख आधार थे !
धर्मिक कारण :-
ब्राह्मण धर्म के यज्ञ-अनुष्ठान अत्यधिक जटिल हो गए थे ! एवं धर्म की व्यख्याआम आदमी के समझ के परे थी !
अन्य वर्णो के पास अधिकार सिमित थे !
सामाजिक कारण :-
क्षुद्र समतामूलक समाज के समर्थक थे !
उनके साथ जातीय भेदभाव होता था !
धार्मिक क्रांति |
पुष्यभूति वंश
हर्ष (606-647AD)
प्रभाकरबर्धन (राजधानी : थानेश्वर)
- राज्य
- हर्ष
- राज्य श्री
थानेश्वर में प्रभाकरबर्धन का शासन था !
प्रभाकर ने अपनी पुत्री राज्य श्री का विवाह मौखरी वंश (कनौज) के शासक गृहवर्मा / गृह वर्मन से की !
प्रभाकरबर्धन की पत्नी यशोमति ने प्रभाकरवर्धन की बीमारी से आहत होकर आत्मदाह कर लिया !
मालवा के शासक ने बंगाल के गौड़ शासक शशांक के साथ मिलकर गृहवर्मन की हत्या कर दी !
शशांक ने राज्यवर्धन की भी हत्या कर दी !
इस विषम परस्थिति में 606 AD में हर्ष का राज्याभिषेक हुआ !
हर्ष ने प्रण लिया की वह धरती को गौरविहीन कर देगा !
हर्ष ने कनौज पर अधिकार कर लिया एवं उसे अपनी राजधानी बनाया !
हर्ष ने सम्पूर्ण उत्तर भारत को विजिट किया !
शशांक की मृत्यु के पश्चात् हर्ष ने बंगाल पर भी अधिकार कर लिया !
दक्षिण भारत में नर्मदा नदी के तट पर चालुक्य वंश पुल्केशिंग-2 का सामना किया !
इस युद्ध में हर्ष पराजित हुआ !
यह जानकारी ऐहोल अभिलेख से मिलती है !
हर्ष के शासनकाल में एक चीनी यात्री हवेनसांग भारत की यात्रा पर आया !
हवेनसांग बौद्ध धर्म की शिक्षा एवं जानकारी लेने भारत आया !
हवेनसांग ने दक्षिण भारत की यात्रा की !
हवेनसांग पल्लव शासक नरसिह वर्मन-1 एवं चालुक्य शासक पुल्केशिन-2 का उल्लेख करता है !
हवेनसांग ने भीनमाल की यात्रा की थी !
हवेनसांग की पुस्तक
- सी.यु.की
हर्ष ने सर्वधर्म का आयोजन करवाया!(कन्नौज में )
हर्ष ने हवेनसांग को उसका अध्यक्ष बनाया इस कारण हर्ष को ब्राह्मणों के विरोध का सामना करना पड़ा !
हर्ष प्रयाग में प्रत्येक 5 वर्ष पश्चात् महामोक्ष परिषद का आयोजन करवाता था !
6th महामोक्ष परिषद् में हवेनसांग ने हिस्सा लिया था !
हर्ष एक विद्वान शासक था !उसने तीन नाटकों की रचना की !
- नागानद
- रत्नावलि
- प्रियदर्शिका
उसने विद्वानों को संरक्षण दिया !
बाणभट्ट की पुस्तकें
- हर्षचरित्र
- कादम्बरी
मयूर की पुस्तकें
- सूर्यशतक
Q . गौतम बुद्ध धर्म का इतिहास पूरा विस्तार से, बौद्ध धर्म की शिक्षाएं, बौद्ध संगीतियां ,बुद्ध के प्रतीक, बौद्ध धर्म के पतन के कारण ?
Q. सिंधु घाटी/हड़प्पा सभ्यता का पहला पार्ट ?
Q. भारत में विदेशी आक्रमण, वितस्ता झेलम का युद्ध, यूनानी आक्रमण, फ़ारसी आक्रमण?
मातंग दिवाकर
हर्ष ने अपना दूतमण्डल चीन भेजा था !
हर्ष इतना महान शासक नहीं था जितना उसे बाणभट्ट एवं हवेनसांग ने बना दिया !
NOTE :-
शशांक बंगाल का गौड़ शासक था !
यह शिव का भक्त था !
इसने बौद्धी वृक्ष को काट कर गंगा नदी में फिंकवा दिया !
आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यवाद अगले आर्टिकल को जरूर पढ़ें, और हाँ आर्टिकल से कुछ जानकारी मिली है तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें ! Thank you very much.
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WRITTEN BY NDK EDUCATUION
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