त्रिपक्षीय संघर्ष- हेल्लो गाइज हमारी वेबसाइट Ndk education में आप सभी लोगों का स्वागत है, आज की आर्टिकल में हम त्रिपक्षीय संघर्ष क्या है! इसके बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे !
कृष्ण-1
इसने एरोला के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण करवाया !
यह एकाश्मक पत्थर से निर्मित मंदिर है !
इस पहाड़ को तराश कर मंदिर बनाया गया !
नोट :-
एरोला में 34 गुफाएँ हैं !
गुफाओं का निर्माण राष्ट्कूट शासको ने करवाया है !
इन गुफाओं में हिन्दू , बौद्ध ,एवं जैन धर्म से सम्बंधित चित्र हैं !
ध्रुव :-
उपाधि : धारावर्ष
अमोधवर्ष
इसने कई विद्वानों को संरक्षण दिया !
यह स्वयं एक विद्वान शासक थे !
इसकी पुस्तक :- कविरजमार्ग
दरबारी :-
जिनसेन ➝पुस्तक ➝ आदिपुराण
सक्तायान ➝पुस्तक ➝अमोधवृत्ति
महावीराचार्य ➝पुस्तक ➝गणितसारग्रह
अरब यात्री सुलेमान ने अमोधवर्ष को विश्व के चार प्रसिद्ध शासकों में से एक बताया !
इन्द्र-3 :-
अरब यात्री अल-मसूदी ने इसे भारत का सबसे शक्तिशाली शासक बताया !
कृष्ण-3 :-
तक्कोलम का युद्ध
कृष्ण-3 v/s प्रान्तक-1 (चोल)
पाल वंश :-
संस्थपक :- गोपाल
जनता ने इसका चयन किया था !
धर्मपाल :-
इस वंश का सबसे महान शासक धर्मपाल था !
इसने विक्रमशिला विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया !
क़ुतुबबख्तियार :-
नोट :
कुतुबुद्दीन बख्तियार ने इसे जलाकर नष्ट कर दिया था !
देवपाल, नारायणपाल, महिपाल
इसे पाल वश का दूसरा संस्थापक कहा जाता है !
पाल वंश अंतिम वंश था, जिन्होंने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया था !
अधिक जानकारी के लिए यह भी पढ़ें !
चंद्रगुप्त राजवंशों का उदय कैसे हुआ ?
मौर्य काल का इतिहास ?, चन्द्रगुप्त मौर्य,मौर्य राजवंश का इतिहास, बिंदुसार का इतिहास
जैन धर्म का इतिहास?, जानिए संपूर्ण परिचय, जैन धर्म के पाँच मूलभूत सिद्धांत, जैन धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई।
त्रिपक्षीय संघर्ष 6 चरणों में चला !
प्रथम चरण :-
वत्सराज v/s धर्मपाल
वत्सराज v/s ध्रुव
दूसरा चरण :-
नागभट्ट-2 v/s धर्मपाल
नागभट्ट-2 v/s गोविन्द-3
तीसरा चरण :-
तीसरे और चौथे चरण में राष्ट्कूट शासकों ने भग नहीं लिया !
मिहिरभोज v/s देवदास
चौथा चरण :-
मिहिरभोज v/s नारायणपाल
पांचवां चरण :-
पांचवें और छठे चरण में पाल शासकों ने भाग नहीं लिया !
महिपाल v/s इंद्र-3
छठा चरण :-
महिपाल v/s कृष्ण-3
राष्ट्कूट शासक इस संघर्ष में एक बार भी पराजित नहीं हुए !
अंततः गुर्जर प्रतिहारों ने कन्नौज पर अधिकार कर लिया था !
गाइज हमने त्रिपक्षीय संघर्ष बारे में जो भी जानकारी दिया हूँ ! यह इनफार्मेशन आप लोगों के साथ शेयर किया हूँ! अगर यह आर्टिकल आपको अच्छा लगे, तो इसे आप सोशल मिडिया और अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें! ताकि उसे भी त्रिपक्षीय संघर्ष के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकें! यह आर्टिकल आपको कैसा लगा आप कॉमेंट जरूर करें, इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई भी सवाल (प्रश्न) है, तो आप कॉमेंट में पूछ सकते हैं, या इससे सम्बंधित कोइ सुझाव है, तो आप हमें कॉमेंट या मेल कर सकते हैं !
WRITTEN BY NDK EDUCATUION
त्रिपक्षीय संघर्ष |
त्रिपक्षीय संघर्ष
इसने अरबों को सिंध से आगे बढ़ने नहीं दिया !
यह जानकारी ग्वालियर अभिलेख से मिलती हैं ! ⬇️
जानकारी स्त्रोत :-नागभट्ट
वत्सराज :-
इसके समय त्रिपक्षीय संघर्ष आराम हो गया था !
इसने पाल शासक धर्मपाल को पराजित किया, लेकिन स्वयं राष्ट्कूट शासक ध्रुव से पराजित हुआ !
नागभट्ट-2 :-
नागभट्ट-2 v/s धर्मपाल
नागभट्ट-2 v/s गोविन्द-3
मिहिरभोज :-
यह एक विद्वान शासक था !
उपाधि :-
आदिवराह
प्रभास
इसके समय अरब यात्री सुलेमान ने भरत की यात्रा की ! सुलेमान ने मिहिरभोज को अरवों का स्वाभविक शत्रु (मलेच्छों का नाशक) बताया है !
मिहिरभोज v/s देवपाल
मिहिरभोज v/s नारायणपाल
महेन्द्रपाल :-
गुरू :- राजशेखर
राजशेखर कई पुस्तकें की राचना की है !
महिपाल :-
महिपाल v/s इन्द्र-3 (राष्ट्कूट)
महिपाल v/s कृष्ण-3 (राष्ट्कूट)
कृष्ण-3 ने कनौज को तहस नहस कर दिया था !
अरब यात्री अल-मसूदी ने भरत की यात्रा की ! तथा राष्ट्कूटों को सबसे शक्तिशाली बताया !
राजयपाल :-
गजनवी ने इसे पराजित किया !
यशपाल :- अंतिम शासक
राष्ट्कूट :-
संस्थाक :- दन्तिदुर्ग
राज्यधानी :- मान्यखेत
गुर्जरप्रतिहार :
गुर्जरप्रतिहार स्वयं को लक्ष्मण भगवान के वंश मानते हैं !
प्रतिहार का शाब्दिक अर्थ :- द्वारपाल
हरिश्चंद्र (आदि पुरुष) :- संस्थापक
नागभट्ट-1 गुर्जरप्रतिहार स्वयं को लक्ष्मण भगवान के वंश मानते हैं !
प्रतिहार का शाब्दिक अर्थ :- द्वारपाल
हरिश्चंद्र (आदि पुरुष) :- संस्थापक
इसने अरबों को सिंध से आगे बढ़ने नहीं दिया !
यह जानकारी ग्वालियर अभिलेख से मिलती हैं ! ⬇️
जानकारी स्त्रोत :-नागभट्ट
वत्सराज :-
इसके समय त्रिपक्षीय संघर्ष आराम हो गया था !
इसने पाल शासक धर्मपाल को पराजित किया, लेकिन स्वयं राष्ट्कूट शासक ध्रुव से पराजित हुआ !
नागभट्ट-2 :-
नागभट्ट-2 v/s धर्मपाल
नागभट्ट-2 v/s गोविन्द-3
मिहिरभोज :-
यह एक विद्वान शासक था !
उपाधि :-
आदिवराह
प्रभास
इसके समय अरब यात्री सुलेमान ने भरत की यात्रा की ! सुलेमान ने मिहिरभोज को अरवों का स्वाभविक शत्रु (मलेच्छों का नाशक) बताया है !
मिहिरभोज v/s देवपाल
मिहिरभोज v/s नारायणपाल
महेन्द्रपाल :-
गुरू :- राजशेखर
राजशेखर कई पुस्तकें की राचना की है !
- काव्य मिमांसा
- विशाल भज्जिका
- कर्पूर मज्जिका
- हरविलास
- बाल रामायण
महिपाल :-
महिपाल v/s इन्द्र-3 (राष्ट्कूट)
महिपाल v/s कृष्ण-3 (राष्ट्कूट)
कृष्ण-3 ने कनौज को तहस नहस कर दिया था !
अरब यात्री अल-मसूदी ने भरत की यात्रा की ! तथा राष्ट्कूटों को सबसे शक्तिशाली बताया !
राजयपाल :-
गजनवी ने इसे पराजित किया !
यशपाल :- अंतिम शासक
राष्ट्कूट :-
संस्थाक :- दन्तिदुर्ग
राज्यधानी :- मान्यखेत
कृष्ण-1
इसने एरोला के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण करवाया !
यह एकाश्मक पत्थर से निर्मित मंदिर है !
इस पहाड़ को तराश कर मंदिर बनाया गया !
नोट :-
एरोला में 34 गुफाएँ हैं !
गुफाओं का निर्माण राष्ट्कूट शासको ने करवाया है !
इन गुफाओं में हिन्दू , बौद्ध ,एवं जैन धर्म से सम्बंधित चित्र हैं !
ध्रुव :-
उपाधि : धारावर्ष
अमोधवर्ष
इसने कई विद्वानों को संरक्षण दिया !
यह स्वयं एक विद्वान शासक थे !
इसकी पुस्तक :- कविरजमार्ग
त्रिपक्षीय संघर्ष |
दरबारी :-
जिनसेन ➝पुस्तक ➝ आदिपुराण
सक्तायान ➝पुस्तक ➝अमोधवृत्ति
महावीराचार्य ➝पुस्तक ➝गणितसारग्रह
अरब यात्री सुलेमान ने अमोधवर्ष को विश्व के चार प्रसिद्ध शासकों में से एक बताया !
इन्द्र-3 :-
अरब यात्री अल-मसूदी ने इसे भारत का सबसे शक्तिशाली शासक बताया !
कृष्ण-3 :-
तक्कोलम का युद्ध
कृष्ण-3 v/s प्रान्तक-1 (चोल)
पाल वंश :-
संस्थपक :- गोपाल
जनता ने इसका चयन किया था !
धर्मपाल :-
इस वंश का सबसे महान शासक धर्मपाल था !
इसने विक्रमशिला विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया !
क़ुतुबबख्तियार :-
नोट :
कुतुबुद्दीन बख्तियार ने इसे जलाकर नष्ट कर दिया था !
देवपाल, नारायणपाल, महिपाल
इसे पाल वश का दूसरा संस्थापक कहा जाता है !
पाल वंश अंतिम वंश था, जिन्होंने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया था !
अधिक जानकारी के लिए यह भी पढ़ें !
चंद्रगुप्त राजवंशों का उदय कैसे हुआ ?
मौर्य काल का इतिहास ?, चन्द्रगुप्त मौर्य,मौर्य राजवंश का इतिहास, बिंदुसार का इतिहास
जैन धर्म का इतिहास?, जानिए संपूर्ण परिचय, जैन धर्म के पाँच मूलभूत सिद्धांत, जैन धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई।
त्रिपक्षीय संघर्ष 6 चरणों में चला !
प्रथम चरण :-
वत्सराज v/s धर्मपाल
वत्सराज v/s ध्रुव
दूसरा चरण :-
नागभट्ट-2 v/s धर्मपाल
नागभट्ट-2 v/s गोविन्द-3
तीसरा चरण :-
तीसरे और चौथे चरण में राष्ट्कूट शासकों ने भग नहीं लिया !
मिहिरभोज v/s देवदास
चौथा चरण :-
मिहिरभोज v/s नारायणपाल
पांचवां चरण :-
पांचवें और छठे चरण में पाल शासकों ने भाग नहीं लिया !
महिपाल v/s इंद्र-3
छठा चरण :-
महिपाल v/s कृष्ण-3
राष्ट्कूट शासक इस संघर्ष में एक बार भी पराजित नहीं हुए !
अंततः गुर्जर प्रतिहारों ने कन्नौज पर अधिकार कर लिया था !
गाइज हमने त्रिपक्षीय संघर्ष बारे में जो भी जानकारी दिया हूँ ! यह इनफार्मेशन आप लोगों के साथ शेयर किया हूँ! अगर यह आर्टिकल आपको अच्छा लगे, तो इसे आप सोशल मिडिया और अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें! ताकि उसे भी त्रिपक्षीय संघर्ष के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकें! यह आर्टिकल आपको कैसा लगा आप कॉमेंट जरूर करें, इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई भी सवाल (प्रश्न) है, तो आप कॉमेंट में पूछ सकते हैं, या इससे सम्बंधित कोइ सुझाव है, तो आप हमें कॉमेंट या मेल कर सकते हैं !
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