Weekly Science Test exam 04 May 2024

Weekly Science Test exam 04 May 2024   

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Weekly Science Test exam 04 May 2024
 
  Test 01

            

Physics

1.  मानव नेत्र में दृष्टि दोष मुख्यतः कितने प्रकार के होते हैं, सभी प्रकार को बताये ?  

2. ऐमीटर और वोल्टमीटर में अंतर को लिखें ?  

Chemistry                              

3.  आर्हेनियस द्वारा दिए गये अम्ल और भस्म की परिभाषा को लिखो ?              

4. अम्ल के गुण को लिखे ?                                            

5. मधुमक्खी के डंक में कोन-सा अम्ल पाया जाता है ?                        

6. निम्नलिखित समीकरण को संतुलित करें ?                                 

      HCl+NaOH → NaCl+H2O

7. धोने के सोडा का उपयोग को लिखें ?                                       

8. धातु और अधातु किसे कहते हें ?                                        

Biology

9. लिंग के आधार पर जीवों को कितने वर्गों मे बाँटा गया है ?                        

10. पादप हार्मोन का नाम बताये ?                                                             

11. मादा जनन हार्मोन का नाम लिखों ?                                         

12. लैंगिक जनन किसे कहते है ?                                            

13. जिबरेलिन्स हार्मोन के कार्य को लिखें ?                                               

Ans.1:- मानव नेत्र में दृष्टि दोष मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं-

1. निकट–दृष्टि दोष

2. दूर–दृष्टि दोष

3. जरा–दूरदर्शिता

4. अबिंदुकता

1. निकट–दृष्टि दोष– जिस दोष में नेत्र निकट की वस्तुओं को साफ-साफ देखसकता है, किन्तु दूर की वस्तुओं को साफ-साफ नहीं देख सकता है, निकट दृष्टि दोष कहलाता है

दोष के कारण–

इस दोष के दो कारण हो सकते हैं-

1. नेत्रगोलक का लंबा हो जाना, अर्थात नेत्र-लेंस और रेटिना के बीच की दूरी का बढ़ जाना।   

2. नेत्र-लेंस का आवश्यकता से अधिक मोटा हो जाना जिससे उसकी फोकस-दूरी का कम हो जाना|

उपचार– इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लेंस का उपयोग किया जाता है।

दूर–दृष्टि दोष - जिस दोष में नेत्र दूर की वस्तुओं को साफ-साफ देख सकता है, किन्तु निकट की स्थित वस्तुओं को साफ-साफ नहीं देख सकता है। दूर-दृष्टि दोष कहलाता है।

कारण - इस दोष के दो कारण हो सकते हैं।

1. नेत्र गोलक का छोटा हो जाना अर्थात नेत्र लेंस और रेटिना के बीच की दूरी का कम हो जाना।

2. नेत्र लेंस का आवश्यकता से अधिक पतला हो जाना जिससे उसकी फोकस दूरी का बढ़ जाना।

उपचार - दूर दृष्टि दोष को दूर करने के लिए उŸाल लेंस का उपयोग किया जाता है।

3. जरा–दूरदर्शिता–

जिस दोष में नेत्र निकट और दूर की वस्तुओं को साफ-साफ देख नहीं सकता है, जरा-दूरदर्शिता कहलाता है।

उम्र बढ़ने के साथ-साथ वृद्धावस्था में नेत्र-लेंस की लचक कम हो जाने पर और सिलियरी मांसपेशियों की समंजन-क्षमता घट जाने के कारण यह दोष उत्पन्न होता है। इससे आँख के निकट-बिंदू के साथ-साथ दूर-बिंदू भी प्रभावित होता है।

उपचार - इस दोष को दूर करने के लिए बाइफोकल लेंस का व्यवहार करना पड़ता है जिसमें दो लेंस एक ही चश्मे में ऊपर-नीचे लगा दिए जाते हैं।

अबिंदुकता - इस दोष में नेत्र क्षैतिज के वस्तुओं को देख सकता किंतु उर्ध्वाधर की वस्तुओं को नहीं देख सकता है।

उपचार - इस दोष को दूर करने के लिए बेलनाकार लेंस का उपयोग किया जाता है।


Ans.2:-  ऐमीटर और वोल्टमीटर में अंतर–

ऐमीटर–

1. यह किसी विधुत-परिपथ में धारा की प्रबलता को मापता है।

2. यह किसी विधुत परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है।

3. इसका स्केल ऐम्पियर (A) में अंकित होता है।

वोल्टमीटर–

1. यह किसी विधुत परिपथ में किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवांतर को मापता है।

2. यह किसी विधुत परिपथ में समांतरक्रम में जोड़ा जाता है।

3. इसका स्केल वोल्ट (V) में अंकित होता है।                                         

Ans.3:- आर्हेनियस द्वारा अम्ल की परिभाषा :-

अम्ल वह पदार्थ है जो जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन (H⁺) देता है।

आर्हेनियस द्वारा भस्म की परिभाषा :-

भस्म वह पदार्थ है जो जल में घुलकर हाइड्रॉक्साइड आयन (H⁻)  देता है।


 Ans.4:- अम्ल के गुण :-

1. अम्ल स्वाद में खट्टा होता है।

2. प्रबल अम्ल विद्युत के सुचालक होते हैं।

3. अम्ल धातु से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।

4. भस्म क्षार से क्रिया करके लवण और जल बनाता है।

5. अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है।


Ans.5:- . मधुमक्खी के डंक में मेथेनॉइक अम्ल होता है। इसके डंक से होने वाली जलन को शांत करने के लिए क्षारीय प्रकृति के बेकिंग सोडा का प्रयोग किया जाता है।


Ans.6:- HCl+NaOH → NaCl+H2O 

(यहाँ पर पहले से ही समीकरण संतुलित है )


Ans.7:- धोने के सोडा का उपयोग :-

1. कपड़ा आदि धोने में इसका उपयोग होता है।

2. यह प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में व्यवहार किया जाता है।

3. काँच, कागज, साबुन आदि के उत्पादन में इसका उपयोग किया जाता है।

4. जल का स्थायी खारापन दूर करने में उपयोग होता है।


Ans.8:- धातु :- वैसे तत्‍व जो विद्युतधनात्मक, आघातवर्धनीय, तन्य, उष्मा तथा विद्युत का सुचालक, चमकीला और कठोर होते हैं, उसे धातु कहते हैं। जैसे- सोडियम, मैग्नीशियम, जिंक, लेड, कॉपर, ताँबा, सोना, ऐलुमिनियम आदि।

अधातु :- वैसे तŸव जो विद्युतधनात्मक, आघातवर्धनीय, तन्य, उष्मा तथा विद्युत का सुचालक, चमकीला और कठोर नहीं होते हैं, उसे अधातु कहते हैं। जैसे- कार्बन, सल्फर, आयोडिन, क्लोरिन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि।


Ans.9:- लिंग के आधार पर जीवों को दो वर्गों मे बाँटा गया है–

1. एकलिंगी और   2. द्विलिंगी

एकलिंगी - वे जीव जिसमें सिर्फ एक व्यष्टि होते हैं, अर्थात नर और मादा नहीं होते हैं। उसे एकलिंगी कहते हैं।

जैसे- अमीबा, जीवाणु आदि।

द्विलिंगी - वे जीव जिसमें नर और मादा दोनो होते हैं, उसे द्विलिंगी कहते हैं। जैसे- मनुष्य, घोड़ा आदि।


Ans.10:- रासायनिक संघटक तथा कार्यविधि के आधार पर पादप हार्मोन को पाँच वर्गों में विभाजित किया गया है-

1. ऑक्जिन 2. जिबरेलिन्स 3. साइटोकाइनिन 4. ऐबसिसिक एसिड और 5. एथिलीन


Ans.11:- प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन को महिला हार्मोन के रूप में जाना जाता है। ये सेक्स हार्मोन अंडाशय द्वारा निर्मित होते हैं।


Ans.12:- लैंगिक जनन - जनन की वह विधि जिसमें नर और मादा भाग लेते हैं, उसे लैंगिक जनन कहते हैं।


Ans.13:- जिबरेलिन्स के कार्य- यह पौधे के स्तंभ की लंबाई में वृद्धि करते हैं। इनके उपयोग से बड़े आकार के फलों एवं फूलों का उत्पादन किया जाता है। बीजरहित फलों के उत्पादन में ये ऑक्जिन की तरह सहायक होते हैं।



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