मौर्य काल का इतिहास ? चंद्रगुप्त वंश बिन्दुसार

मौर्य वंश, चंद्रगुप्त वंश बिन्दुसार-हेल्लो गाइज हमारी वेबसाइट  Ndk education में आप सभी लोगों का स्वागत है, आज की आर्टिकल में हम मौर्य वंश, चंद्रगप्त वंश बिन्दुसार क्या है ! इसके बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे !   ये प्राचीन भारत का एक टॉपिक है मौर्य वंश जो कि एग्जाम के लिए काफी इंपॉर्टेंट है इसलिए आप लोग आर्टिकल को शुरू से लेकर अंत तक पढ़ना ना भूलें ।

मौर्य वंश (322-185BC) :-

मौर्य काल का इतिहास चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास
     मौर्य काल का इतिहास

ब्राह्मण साहित्य के अनुशार -क्षुद्र
जैन एवं बौद्ध ग्रंथो के अनुशार -क्षत्रिय
विशाखदत्त की मुद्रा के अनुशार -वृषल 
                                            ⬇️
                                          निम्न कोलिय
रोमिला थापर के अनुशार -वैश्य
सर्वधिक मान्य मत - क्षत्रिय


चंद्रगुत मौर्य(322-298) :-

चाणक्य ने 1000 कर्षापण में चद्रगुप्त को खरीदा था !

चंद्रगुप्त मौर्य के शिक्षा -तक्षशिला
इसके तथा सेल्यूकस निकेटर (सिकंदर के सेनापति) के मध्य सड़घर्ष हुआ !
इस सड़घर्षकी जानकरी एप्पियानस देता है !

निर्देश:- विदेशी आक्रमण?, वितस्ता झेलम का युद्ध, यूनानी आक्रमण, फ़ारसी आक्रमण


सेल्यूकस निकेटर ने एरिया (हेरात)   }     के क्षेत्र 

           (काबिल) अराकोसिया   }    चन्द्रगुप्त
           (बलूचिस्तान) जेट्रोसिया }    मौर्य को 
           (कंधार) पोरोपनिसडाई  }    दे दिए !
सेल्यूकस ने अपनी बेटी का विवाह, चन्द्रगुप्त मौर्य से किया !
अपना दूत मेगस्थनीज मौर्य के दरबार में भेजा !
                    ↓
                  किताब ,इंडिका 
चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस निकेटर को 500 हाथी उपहार में दिए !
298BC चन्द्रगुप्त मौर्य ने चंद्रगिरी पहाड़ी पर श्रवणबेलागोला में सल्लेखना द्वारा प्राण त्याग दिए !

नोट :-
लेखत                    किताब 
एरियन               इंडिका (indica)
प्लिनी                Natural histosica 
टोल्मी                Geogerphy 
अज्ञात                peiplus of the                                                    aithcian sea


बिंदुसार (298-273BC) :-

मौर्य काल का इतिहास,चन्द्रगुप्त मौर्य म का इतिहास
बिंदुसार

यूनानी इतिहासकारों  ने उसे अमित्रोंचेडस (अमित्रोंघात) कहते हैं!

तब्बत के इतिहासकार तारानाथ उसे महान शासक बताते हैं !
रतानाथ के अनुशार ये दक्षिण भारत को जित लिया था !
यह आजीवत सम्प्रदाय का अनुयायी था !
           ↓  प्रवर्तक 
 मख्लीपूत गोशाल (यह भगवान महावीर के                                          समकालीन थे)
यह भाग्यवादी| नितिवादी होते हैं !

निर्देश:- विदेशी आक्रमण?, वितस्ता झेलम का युद्ध, यूनानी आक्रमण, फ़ारसी आक्रमण


बिन्दुसार के समय तक्षशिला में 2  विद्धोह हूये!  
जिनका दमन सुसीम ने किया था !
यूनानी इतिहासकार एभिनियस के अनुशार बिन्दुसार ने यूनान के शासक से 3 वस्तुए मंगवाई 

  1. मदिरा  (मीठी मदिरा)
  2. सूखे मेवे (अंजीर) 
  3. दर्शनिक


यूनानी शासक ने मीठी मदिरा अंजीर भेज दिए लेकिन दार्शनिक नहीं भेजा !

सम्राट अशोक(273-232) 

माता :- शुभद्राड़गी |भीमा 
पिता:-  बिंदुसार 
पत्नी1:- देवी 
बेटी  :-  संघमित्रा बेटा :- महेंद्र {इन्होंने श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रसार किया}

पत्नी2 :- करुवति  
बेटा :- तीवर इनका अभिलेख मिलता है!

अशोक पहले तक्षशिला एवं उज्जैन का गवर्नर था!

राज्याभिषेक(269BC) 
अशोक का अपने भाइयों के साथ 4 वर्ष तक सत्ता संघर्ष चला!
बौद्ध साहित्य के अनुसार अशोक ने सुसीम सहित अपने 99 भाइयों की हत्या की!
अशोक ने अपने शासन के आठवें वर्ष में कलिड़ग पर आक्रमण किया !

इस युद्ध में एक लाख लोग मारे गए !
डेढ़(1.5) लाख लोगों को युद्ध बंदी बनाया गया!
इस युद्ध के बाद अशोक का हृदय परिवर्तन हो गया!
अशोक ने युद्ध घोष को त्याग कर धम्म घोष को अपनाया!
डेढ़(1.5लाख युद्ध बंदियों को उत्पादन कार्यों में लगाया गया था !

अशोक का धर्म :-

अशोक पहले शिव का अनुयायी था, यह जानकारी हमें कल्हण की राजतररिंगणी से मिलती है !
         ↓                 
      लेखक          पुस्तक 

कल्हण के अनुसार अशोक ने श्रीनगर शहर बसाया !

अशोक ने श्रीनगर में मंदिर बनवाया!
राजतररिंगणी भारतीय इतिहास की जानकारी देने वाली प्रथम पुस्तक है ! 
कल्हण कश्मीर के शासक जयसिंह के दरबार में था! हर्ष को कश्मीर का नीरो भी कहा जाता है !
अशोक मोग्गली पुत्र तिस्स से काफी प्रभावित था!

 दीप वंश एवं महाँ वंश के अनुसार सुसीम के पुत्र निग्रोथ  ने अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया !

दिव्यावदान के अनुसार उपग्रुप्त  में अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया !

चीनी यात्री के हवेसाऱग के अनुसार उपगुप्त ने अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया !

अपने शासन के दसवें वर्ष में अशोक ने सारनाथ की यात्रा की, इसकी जानकारी रुम्मीनदयी के अभिलेख से मिलती है !

भाबू अभिलेख में अशोक ,बुद्ध, सरघ एवं घम्म की शरण में जाने की बाद कहता है !


अशोक का धम्म:-
यह अशोक की आचार संहिता थी, इसक संबंध बौद्ध धर्म से नहीं था !
धम्म में सभी धर्मों की अच्छाइयों का उल्लेख किया गया था!
 धम्म में माता-पिता की सेवा,अतिथि का सत्कार, दया, दान, साफ-सफाई न जैसी बात की गई !
धम्म में स्वर्ग का उल्लेख किया गया !
धम्म की झांकियां निकाली जाती है !
धम्म यात्रा का आयोजन होता था, जिसके तहत जन सुनवाई होती थी !
अशोक ने अपने शासन के 14 वें वर्ष में धन महाराज को नियुक्त किया, यह जानकारी अशोक के पांचवे शिलालेख से मिलती है !
धम्म प्रसार है तो अशोक ने लेख उत्कीर्ण करवाएं !

                       अशोक के लेख 

                              लेख 
शिलालेख स्तंभ लेख गुहा लेख बेहद लघु 

बृहद शिलालेख :-
बृहद शिलालेख इनकी संख्या 14 है एवं आठ स्थानों से प्राप्त होते हैं !

शाहबाज गपिसावा गुजरात ईश्वरी पार्क कालसी मां शेरा कालसी उत्तराखंड जूनागढ़ गिरनार गुजरात छपारा महाराष्ट्र धौली उड़ीसा आंध्र प्रदेश कलियर लघु शिलालेख इसमें अशोक की व्यक्तिगत जानकारी मिलती है बाबू अभिलेख अशोक के बंद होने की जानकारी मिलती है मां की गुर्जर आ 69 उद्गम अशोक का नाम है नोट अन्य अभिलेखों में अशोक की उपाधि देवनाम्प्रिया मिलती है इनकी संख्या साथ है।

दोस्तो आपको ये जानकारी कैसा लगा आप लोग कॉमेंट्स बॉक्स में जरूर लिखें और अगर आप लोग को क्वेश्चन एंड अंसर का पीडीएफ चाहिए तो आप हमें कॉमेंट्स बॉक्स में अपनी बात को रख सकते हैं । और अगर आपको अच्छी तैयारी चाहिए तो आप लोग हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें धन्यवाद ।

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