आखिर क्या हुआ था चोल वंश में, उस समय का सम्राज्य कैसा था, तथा प्रशासन थी भी या नही थी। तो आज हम लोग उसका विस्तार से पढ़ेंगे और जनेंगे। तो दोस्तों आप इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक पढ़ें, ताकि आप चोल वंश के बारे में अच्छे से जान सकें। चलिए आर्टिकल शुरू करते हैं!
चोल वंश:-
चोल वंश |
आदित्य -1
चोल पहले पल्ल्वों के सामन्त थे इसने पल्ल्वों को पराजित कर चोलो को संम्पूर्ण कर दिया !
प्रान्तक -1
इसका उत्तरमेरूर अभिलेख प्राप्त होता है !
ब्राह्मणो को गाँवों का दान दिया जाता था !
इन गाँवों का प्रशासन ग्रामीण स्वयं सम्भालते था !
गाँवों को 30 भागो में बाँट लिया जाता था !
प्रत्येक भाग वार्ड से एक व्यक्ति का चुनाव किया जाता था!
चुनाव अत्यंत ही पारदर्शी तरिके से होता था !
चुनाव में चयन होने हेतु कुछ अनिवार्य नियम होती थी !
1. सवयं के मकान हो !
2. वेदों का ज्ञान हो
3. आपधारित प्रवृति का न हो (सवयं ,परिवार ,रिस्तेदार ,मित्र कोई न हो हो)
2. वेदों का ज्ञान हो
3. आपधारित प्रवृति का न हो (सवयं ,परिवार ,रिस्तेदार ,मित्र कोई न हो हो)
4. वेदों का ज्ञान हो !
5. आपधारिक प्रवृति का न हो (सवयं ,परिवार ,रिश्तेदार ,मित्र कोई नहीं हो)
एक व्यक्ति केवल एक बार सभा का सदस्य बन सकता है !
इस संस्था को सभा /समिति /उर कहा जाता था !
12 सदस्यों की कमिटी वार्षिक कमिटी होती थी !
अन्य 2 कमिटीयाँ तालाब एवं उधान का काम देखती थी !
प्रान्तक -2
इसे सूंदर चोल कहा जाता है !
प्रान्तक -2
इसे सूंदर चोल कहा जाता है !
उत्तमचोल :-
इसने सोने के सिक्के चलायें
अरिमोलिवर्मन :-
उपाधि :- राज - राज
इसने श्रीलंका पर आक्रमण किया तथा वहां के शासक महेंद्र पञ्चम को प्राजित किया !
उसकी राजधानी अनुराधापुर को तहस - नहस कर दिया !
उत्तरी श्रीलंका को अपने राज्य में मिलाया, एवं मामुंडिचोलमण्डलम नाम रखा है।
इसने तञजौर में वृहदेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया !
जो राजराजेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है !
2010 में इस मंदिर के 1000 वर्ष पूर्ण हुए हैं !
RBI ने इसके सम्मान में 100 रुपया का सिक्का जारी किया !
राजेंद्र -1
इसने पुरे श्रीलंका पर अधिकार कर लिया था !
इसने अण्डमान -निकोबार द्वीप को जीत लिया !
इसने जावा -सुमात्रा ,सुदिमन द्वीपों को जित लिया !
इसने बंगाल एवं गड़गा नदी क्षेत्र को विजिट किया !
इसने मॉरिशन को विजिट किया !
इसने गंगेकोचोल की उपाधि धारण की !
तथा गंगेकोचोल- मंडलम नाम से राजधानी बनाई !
गंगेकोचोल- मंडलम नाम से तालाब बनबाई !
गंगेकोचोलेश्वर नामक मंदिर का निर्माण करवाया !
राजधिराज
राजेंद्र -2
यह युद्ध मैदान में लड़ता हुआ मारा गया !
अधिराजेन्द्र
जनता ने पिट -पिट कर इसकी हत्या कर दी थी !
कुलोतुग -1
72 सदस्यों का दूत - मण्डल चीन भेजा !
कुलोतुग -2
इसने गुबिंद राज की मूर्ति को समुन्द्र में फेकवा दिया था !
रामानुजावार्य ने इस मूर्ति को तिरुपति बालाजी में पुनर्स्थापित किया !
चोल कालीन कला :-
इतिहासकार फ़र्यूसन के अनुसार चोल शासकों ने दैत्य की तरह मंदिर स्थापक्ष्य की कल्पना की एवं देवताओं की तरह इनका निर्माण करवाया !
आरंभिक चोल मंदिरों में पल्लव शासकों का प्रभाव दिखता है !
चोल कालीन कला के द्वितीय चरण में विशाल मंदिरों का निर्माण हुआ !
प्रथम चरण में विजयालय ने नात्य मलाई में चोलेईश्वर मंदिर का निर्माण करवाया !
इसका विमान 4 मंजिला है!
विमान चोल शासकों की विशेषता है!
NOTE;-
गोपुरम - पाण्ड्य शासकों की विशेषता है !
आदित्य -1 ने कलनूर ने बालसुब्राह्मम एवं चंदेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया !
प्रांतक -1 कोरड़गनाथ मंदिर का निर्माण करवाया !
इस मंदिर की विशेषता लक्ष्मी दुर्गा एवं सरस्वती की तक्षण मूर्तियां है!
चोल कला का चरण काल तन्जौल के वृहदेश्वर मंदिर एवं गड़गेकोण चोरपुरम के मंदिर हैं!
विजयनगर कालीन कला :-
चोल कला / द्रविल कला अपने चरण पर इस काल में पहुंची!
इस काल में अरड़करण विशेषता स्तंभों एवं गोपुरम पर विशेष बल दिया गया!
इस समय भगवान की विवाह हेतु प्रमुख मंदिर के पास कल्याण पान्डप एवं देवी हेतु अम्मानमंदिर का निर्माण आरंभ हुआ!
कृष्णदेव राय ने विठठ्ल मंदिर का निर्माण करवाया !
विरुपाक्ष मंदिर का पुर्णनिर्माण भी इसी काल में हुआ !
यह भी पढ़ें:- Q.1 सिंधु घाटी/हड़प्पा सभ्यता का पहला पार्ट ?
यह भी पढ़ें:- Q.2 सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता का दूसरा पार्ट ?
यह भी पढ़ें:- Q.5 भारत में विदेशी आक्रमण?, वितस्ता झेलम का युद्ध, यूनानी आक्रमण, फ़ारसी आक्रमण
पुरे आर्टिकल को शुरू से अंत तक पढ़ने के लिए धन्यबाद
थैंक्स फॉर व्यूवर , अगले आर्टिकल बहुत जल्द आ रहा है!
चोल साम्रज्य का प्रशासन |
इसने तञजौर में वृहदेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया !
जो राजराजेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है !
2010 में इस मंदिर के 1000 वर्ष पूर्ण हुए हैं !
RBI ने इसके सम्मान में 100 रुपया का सिक्का जारी किया !
राजेंद्र -1
इसने पुरे श्रीलंका पर अधिकार कर लिया था !
इसने अण्डमान -निकोबार द्वीप को जीत लिया !
इसने जावा -सुमात्रा ,सुदिमन द्वीपों को जित लिया !
इसने बंगाल एवं गड़गा नदी क्षेत्र को विजिट किया !
इसने मॉरिशन को विजिट किया !
इसने गंगेकोचोल की उपाधि धारण की !
तथा गंगेकोचोल- मंडलम नाम से राजधानी बनाई !
गंगेकोचोल- मंडलम नाम से तालाब बनबाई !
गंगेकोचोलेश्वर नामक मंदिर का निर्माण करवाया !
राजधिराज
राजेंद्र -2
यह युद्ध मैदान में लड़ता हुआ मारा गया !
अधिराजेन्द्र
जनता ने पिट -पिट कर इसकी हत्या कर दी थी !
कुलोतुग -1
72 सदस्यों का दूत - मण्डल चीन भेजा !
कुलोतुग -2
इसने गुबिंद राज की मूर्ति को समुन्द्र में फेकवा दिया था !
रामानुजावार्य ने इस मूर्ति को तिरुपति बालाजी में पुनर्स्थापित किया !
चोल कालीन कला :-
इतिहासकार फ़र्यूसन के अनुसार चोल शासकों ने दैत्य की तरह मंदिर स्थापक्ष्य की कल्पना की एवं देवताओं की तरह इनका निर्माण करवाया !
आरंभिक चोल मंदिरों में पल्लव शासकों का प्रभाव दिखता है !
चोल कालीन कला के द्वितीय चरण में विशाल मंदिरों का निर्माण हुआ !
प्रथम चरण में विजयालय ने नात्य मलाई में चोलेईश्वर मंदिर का निर्माण करवाया !
इसका विमान 4 मंजिला है!
विमान चोल शासकों की विशेषता है!
NOTE;-
गोपुरम - पाण्ड्य शासकों की विशेषता है !
चोल वंश की मंदिर |
आदित्य -1 ने कलनूर ने बालसुब्राह्मम एवं चंदेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया !
प्रांतक -1 कोरड़गनाथ मंदिर का निर्माण करवाया !
इस मंदिर की विशेषता लक्ष्मी दुर्गा एवं सरस्वती की तक्षण मूर्तियां है!
चोल कला का चरण काल तन्जौल के वृहदेश्वर मंदिर एवं गड़गेकोण चोरपुरम के मंदिर हैं!
विजयनगर कालीन कला :-
चोल कला / द्रविल कला अपने चरण पर इस काल में पहुंची!
इस काल में अरड़करण विशेषता स्तंभों एवं गोपुरम पर विशेष बल दिया गया!
इस समय भगवान की विवाह हेतु प्रमुख मंदिर के पास कल्याण पान्डप एवं देवी हेतु अम्मानमंदिर का निर्माण आरंभ हुआ!
विजयनगर का लोट्स महल भी प्रमुख इमारत है !
देवराय -2 ने हजारा स्वामी के मंदिर का निर्माण करवाया !कृष्णदेव राय ने विठठ्ल मंदिर का निर्माण करवाया !
विरुपाक्ष मंदिर का पुर्णनिर्माण भी इसी काल में हुआ !
यह भी पढ़ें:- Q.1 सिंधु घाटी/हड़प्पा सभ्यता का पहला पार्ट ?
यह भी पढ़ें:- Q.2 सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता का दूसरा पार्ट ?
यह भी पढ़ें:- Q.5 भारत में विदेशी आक्रमण?, वितस्ता झेलम का युद्ध, यूनानी आक्रमण, फ़ारसी आक्रमण
पुरे आर्टिकल को शुरू से अंत तक पढ़ने के लिए धन्यबाद
थैंक्स फॉर व्यूवर , अगले आर्टिकल बहुत जल्द आ रहा है!
WRITTEN BY DK EDUCATUION
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