उत्तर वैदिक काल, वैदिक सभ्यता, वैदिक युग, वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल ?


उत्तर वैदिक काल(1000-600BC) 

दोस्तों मेरे आर्टिकल में आपका स्वागत है।दोस्तों इस आर्टिकल में हमलोग उत्तर वैदिक काल के बारे में पढ़ेंगे, तथा उत्तर वैदिक काल के सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे , एवं इसके कुछ महत्वूर्ण प्रश्न को जानेंगे, दोस्तों आप इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक पढ़ें ताकि आपको उत्तर वैदिक काल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले पायेंगे, आपको इस आर्टिकल को कोई लायन अच्छा लगे तो आप इस पेज को follow तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर अवश्य करें। 

उत्तर वैदिक काल की विस्तार :- 

उत्तर वैदिककाल (1000-600BC)

वैदिक सभ्यता, वैदिक युग, उत्तर वैदिक काल, वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल
उत्तर वैदिक काल


 राजनीतिक स्थिति:-

 राजा का पद अब गरीमामयी गया था! 
 ऐतरेय ब्राह्मण में राजा की उपाधियों का उल्लेख मिलता है! 
सम्राट
विराट
एकरात
विराट
राजा विभिन्न यंत्रों का आयोजन करवाता था!

1. अश्वमेघ यज्ञ :- यह साम्राज्यवादी यज्ञ था! (अवधि तीन 3 दिन) 

2. राजसूय यज्ञ :- राज्यभिषेक के समय इसका आयोजन होता था राजा इस दिन मंत्री के पास भोजन करता था 
राजा हल चलाता था!

3. वाजपेय यज्ञ :- खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन होता था ! 
राजा रथ दौर में भाग लेता था!
एवं राजा सदैव विजित होता था ! 
राजा की सहायता हेतु 12 मंत्री होते थे जिन्हें रतनिन (रलि)
कहा जाता था!

विदय का उल्लेख नहीं मिलता ! 
सभा एवं समिति का प्रभाव कम हो गया था! 
अर्थवेद में सभा एवं समिति को प्रजापति की दो पुत्रियां बताया है! 
राजा के पास स्थाई सेना होना आरंभ हो गया था ! 

आर्थिक स्थिति :- 
कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का आरंभ हो गया था ! 
राजा पृथवेन्यु को कृषि को धरती पर लाने का श्रेय जाता है !
अर्थववेद में तिरीयाँ का उल्लेख मिलता है !

शतपथ ब्राह्मण में कृषि के सभी प्रकारों का उल्लेख मिलता है !
शपथ ब्राह्मण के कटक संहिता में 24 बैलों द्वारा खींचे जाने वाले हलो का उल्लेख मिलता है !

अधिशेष उत्पादन होने लग गया था !
ब्राह्मण एवं क्षत्रिय अनुवादक वर्ण बन गए थे! 
वैश्य एवं शुद्ध उत्पादक वर्ग में शामिल होते थे 

मुद्रा प्रणाली का विकास नहीं हुआ था !
विनिमय हेतु गाय एवं निष्क का प्रयोग होता था !
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उत्तर वैदिक काल


सामाजिक स्थिति :- 
समाज चार 4 वर्णों में विभाजित था ! 
वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित हो चुकी थी ! 
गौत्र एवं जातीय शब्दों का उल्लेख मिलता है ! 
समाज में अस्पृश्यता का अभाव था, लेकिन जातीय भेदभाव होता था ! 

महिलाओं की स्थिति में गिरावट आई है! 
एतरेय ब्राह्मण में पुत्री  जन्म को दुखदाई बताया !
अर्थववेद में पुत्री जन्म को दुखदाई बताया ! 
मैत्रायणी संहिता में स्त्री को शराब एवं जुए के समान बताया गया है !

वृहदाख्यक् उपनिषद का yajnlaky एवं गार्गी भी प्रसिद्ध है !
विधवा विवाह, बहुपत्नी प्रथा एवं नियोग प्रथा का प्रचलन था !

महिलाओं को शिक्षा का अधिकार था ! 
घरेलू दास व दासियों का प्रचलन था ! 
उनका प्रयोग घरेलू कार्यों में होता था, तथा व्यवसायिक कार्यो में नहीं होता था! 

धार्मिक स्थिति :- बहुदेववाद का प्रचलन था !
इंद्र ,अग्नि ,वरुण का महत्व कम हो गया था !
ब्राह्म, विष्णु ,महेश प्रमुख देवता बन गए थे !

ब्राह्म को प्रजापति के रूप में पूजा जाता था ! (सृष्टि कर्ता के रूप में ) 

विष्णु को पालनहार के रूप में पूजा जाता था, इसलिए विष्णु पृथ्वी पर अवतरित होते रहते हैं !
शिव को संहारक के रूप में पूजा जाने लगा ! 
यज्ञ - अनुष्ठान जटिल हो गए थे, केवल ब्राह्मणों को ही यज्ञ करने के अधिकार थे !
ब्राह्मण, क्षत्रिय , वैश्यों को अपने अपनयन , संस्कार का अधिकार था !
क्षुद्रो को गायत्री मंत्र पढ़ने का अधिकार नहीं था !

सजेशन

यह भी पढ़ें :- Q.1 सिंधु घाटी/हड़प्पा सभ्यता का पहला पार्ट ?

यह भी पढ़ें :-Q.2 सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता का दूसरा पार्ट ?

यह भी पढ़ें :-Q.4 चंद्रगुप्त राजवंशों का उदय कब हुआ था ?

दोस्तों पूरे आर्टिकल को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।
दोस्तों अगले आर्टिकल को अवश्य ही पढ़ें।




WRITTEN BY DK EDUCATUION 

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