दोस्तों मेरे आर्टिकल में आपका स्वागत है।दोस्तों इस आर्टिकल में हमलोग गौतम बुद्ध धर्म के बारे में पढ़ेंगे, तथा गौतम बुद्ध धर्म के सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे , एवं इसके कुछ महत्वूर्ण प्रश्न को जानेंगे, दोस्तों आप इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक पढ़ें ताकि आपको गौतम बुद्ध धर्म के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले पायेंगे, आपको इस आर्टिकल को कोई लायन अच्छा लगे तो आप इस पेज को follow तथा अपने दोस्तों के साथ शेयर अवश्य करें।
गौतम बुद्ध धर्म का विस्तार :-
बौद्ध धर्म:-
गौतम बुद्ध |
संस्थापक:- भगवान बुद्ध
बचपन का नाम:- सिद्धार्थ
स्थान :- लुंबिनी (वर्तमान नाम :- रूम्मिनदेई)
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नेपाल
पिता :- शुद्धोधन
माता :- महामाया
मौसी एवं सौतेली माता :- प्रजापति गौतमी (भगवान बुद्ध का पालन पोषण करने वाली)
कुल :- साक्य (साक्यमुनि के नाम से प्रसिद्ध हुए)
गौत्र :- गौतम (इसलिए इन्हें गौतम बौद्घ कहा जाता है!)
पत्नी :- यशोधरा
पुत्र :- राहुल
पत्नी :- यशोधरा
पुत्र :- राहुल
कौंडिण्य नामक ब्राह्मण ने भविष्यवाणी की कि बुद्ध बड़े होकर चक्रवर्ती सम्राट या साधु बनेंगे!
भगवान बुद्ध ने 29 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग किया !
4 घटनाओं ने भगवान बुद्ध का जीवन बदल दिया था !
- बुजुर्ग व्यक्ति
- बीमार व्यक्ति
- मृत व्यक्ति
- साधु
भगवान बुद्ध सांख्य दर्शन के आचार्य अलार कलाम के आश्रम में गए एवं सांख्य दर्शन का ज्ञान प्राप्त किया !
गौतम बुद्ध |
भगवान बुद्ध ने रामपुत से भी शिक्षा ग्रहण की !
बुद्ध उरूवेला चले गए !
कौंडिण्य आदि ब्राह्मणों के साथ कठिन तपस्या की!
सुजाता नामक लड़की ने भगवान बुद्ध को खीर खिलाई !
बुद्ध ने मध्यम मार्ग का प्रतिपादन किया !
35 वर्ष की अवस्था में निरंजना नदी के तट पर पीपल वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई!
सारनाथ नामक स्थान पर बुद्ध ने कौंडिण्य आदि ब्राह्मणों को अपना प्रथम उपदेश दिया!
भगवान बुद्ध ने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती में दिए!
भगवान बुद्ध ने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती में दिए!
बुद्ध का प्रिय शिष्य :- आनंद
बुद्घ का प्रथम शिष्य :- उपाली
आनंद के कहने पर बुद्ध ने महिलाओं को संघ में प्रवेश दिया!
बुद्घ महिलाओं के संग में प्रवेश पर सहमत नहीं थे !
बौद्ध धर्म की शिक्षाएं :-
बुद्घ का प्रथम शिष्य :- उपाली
आनंद के कहने पर बुद्ध ने महिलाओं को संघ में प्रवेश दिया!
बुद्घ महिलाओं के संग में प्रवेश पर सहमत नहीं थे !
नोट :-
प्रजापति गौतमी संघ में प्रवेश पाने वाली प्रथम महिला थी !बौद्ध धर्म की शिक्षाएं :-
- चार आर्य सत्य
- दुख है
- दुख का कारण है
- दुःख के कारण का निवारण है
- दुख निवारण का मार्ग है
प्रतीत्य-समुत्पाद :-
बुद्ध ने दूसरे आर्य-सत्य के तहत इस का प्रतिपादन किया !
यह बौद्ध-दर्शन का कार्यकारण/कारणता का सिद्धांत है !
इसका शाब्दिक अर्थ :- ऐसा होने पर वैसा होना भगवान बुद्ध ने दुःख का कारण अज्ञान या अविधा को बताया इसे 'द्वादश निदान चक्र' भी करते हैं!
यह बौद्ध-दर्शन का कार्यकारण/कारणता का सिद्धांत है !
इसका शाब्दिक अर्थ :- ऐसा होने पर वैसा होना भगवान बुद्ध ने दुःख का कारण अज्ञान या अविधा को बताया इसे 'द्वादश निदान चक्र' भी करते हैं!
अष्टांगिक मार्ग :-
बुद्घ ने चौथे आर्य-सत्य के तहत साथ इस का प्रतिपादन किया !
बुद्घ ने चौथे आर्य-सत्य के तहत साथ इस का प्रतिपादन किया !
- सम्यक दृष्टि
- सम्यक संकल्प
- सम्यक वाक्
- सम्यक कमन्ति
- सम्यक आजिब
- सम्यक व्यायाम
- सम्यक स्मृति
- सम्यक समाधि
बौद्ध दर्शन :-
अनित्यवाद/क्षणिकवाद
अनित्यवाद/क्षणिकवाद
भगवान बुद्ध के अनुसार इस जगत की सभी वस्तुएं का अस्तित्व क्षण भर के लिए होता है, इस जगत की सभी वस्तुएं और अनित्य होती है !
सभी वस्तुओं प्रत्येक क्षण परिवर्तन होता रहता है !
सभी वस्तुओं प्रत्येक क्षण परिवर्तन होता रहता है !
गौतम बुद्ध |
अनात्मवाद;-
बौद्ध दर्शन आत्मा के नृत्य सत्ता को स्वीकार नहीं करता !भगवान बुद्ध के अनुसार विज्ञान (विचार) के प्रभाव का पुनर्जन्म होता है!
बौद्ध के अनुसार विचारों का प्रभाव की आत्मा है
बौद्ध दर्शन पुनर्जन्म में विश्वास करता है !
भगवान बुद्ध कर्म-फल सिद्धांत में विश्वास करते हैं !
बौद्ध दर्शन अनीईश्वरवादी दर्शन है (ईश्वर में विश्वास नहीं रखना)
भगवान बुद्ध कर्म-फल सिद्धांत में विश्वास करते हैं !
बौद्ध दर्शन अनीईश्वरवादी दर्शन है (ईश्वर में विश्वास नहीं रखना)
बौद्ध धर्म में अंतिम लक्ष्य निर्वाण को माना गया है !
निर्वाण :-
शाब्दिक अर्थ :- बुझाना (इसको केवल बौद्ध धर्म में अंतिम लक्ष्य माना गया है)
भगवान बुद्ध ने निर्वाण की अवस्था का वर्णन नहीं किया है!
भगवान बुद्घ ईश्वर, परमतत्व, निर्वाण की अवस्था जैसे प्रश्नों पर मौन रहते थे, एवं मुस्कुरा दिया करते थे!
बुद्ध के प्रतीक :-
हाथी:- भगवान बुद्ध के गर्भ में आने का प्रतीक है
बैल सांड :- भगवान बुद्ध के जन्म का प्रतीक
घोड़ा :- बुद्ध के गीत त्याग का प्रतीक
स्तूप :- बुध की मृत्यु का प्रतीक
बौधि वृक्ष :- ज्ञान का प्रतीक
महाभिनिष्क्रमण :- गृह त्याग
संबोघि :- ज्ञान प्राप्ति
महापरिनिर्वाण :- मृत्यु
बौद्ध संगीतियां :-
समय शासक स्थान अध्यक्ष
483BC अजातशत्रु राजगृह महामहकस्सप
383BC कालाशोक वैशाली सर्वकामी साबकमीर
251BC अशोक पाटलिपुत्र मोग्गलिपुत्त तिस्स
1st शताब्दी कनिष्क कुंडलवन अश्वघोष (अध्यक्ष) ↓ अश्वघोष (उपाध्यक्ष)
कश्मीर
कश्मीर
1. प्रथम संगीति :-
सुतपिटक व विनय पिटक की रचना की गई !
सुतपिटक व विनय पिटक की रचना की गई !
सुत पिटक की रचना की गई!
इसमें भगवान बुद्ध की शिक्षाएं एवं जीवन की धारणाएं धारणाओं का संकलन है !
सुतपिटक के कुददत निकाय में जातक कथाएं मिलती है !
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भगवान बुद्घ की पूर्व जन्मों की कथाएं !
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भगवान बुद्घ की पूर्व जन्मों की कथाएं !
विनय पिटक की रचना की गई थी !
बौद्ध भिक्षुओं के आचार-विचार नियमों का संकलन !
बौद्ध भिक्षुओं के आचार-विचार नियमों का संकलन !
2. दूसरी संगीति :-
बौद्ध शंघ दो शाखाओं में विभाजन हो गया !
- स्थविर
- महासांघिक
3. तीसरा संतिगी :-
अभिधाम पिटक की रचना की गई !
इसमें बौद्ध दर्शन की व्याख्या की गई है !
अभिधाम पिटक की रचना की गई !
इसमें बौद्ध दर्शन की व्याख्या की गई है !
तीनों पिटक को संयुक्त रूप से त्रिपिटक कहा जाता है !
4. चौथी संगीत संगीत
बौद्ध संघ दो शाखा में विभक्त हो गया !
हनीयान महायान
↓ ↓
परंपरावादी सुधारवादी
ईश्वर को नहीं मानते एवं बुद्ध को ईश्वर का अवतार मानते हैं!
बुध को महापुरुष मानते हैं!
हनीयान महायान
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परंपरावादी सुधारवादी
ईश्वर को नहीं मानते एवं बुद्ध को ईश्वर का अवतार मानते हैं!
बुध को महापुरुष मानते हैं!
व्यक्तिगत निर्माण के समर्थक सामूहिक निर्माण के समर्थक
इनका परमपद अर्हत कहलाता इसका परमपद बोधिसत्व है ! कहलाता है!
भाषा पालि को मानते हैं यह संस्कृत भाषा को महत्व देते हैं !
वर्मा थाईलैंड, लाओस, चीन, उत्तर कोरिया, दक्षिण कंबोडिया, वियतनाम आदि कोरिया आदि
वर्मा थाईलैंड, लाओस, चीन, उत्तर कोरिया, दक्षिण कंबोडिया, वियतनाम आदि कोरिया आदि
बौद्ध धर्म का योगदान :-
1. भगवान बुद्ध ने एक सरल एवं आडंबर बिहीन धर्म का प्रतिपादन किया !
2. भगवान बुद्ध ने समतामूलक समाज (सामाजिक समानता) पर विशेष बल दिया, एवं जातीय व्यवस्था को नकार दिया!
2. भगवान बुद्ध ने समतामूलक समाज (सामाजिक समानता) पर विशेष बल दिया, एवं जातीय व्यवस्था को नकार दिया!
3. भगवान बुद्ध ने धर्म को अत्यंत ही साधारण रूप से परिभाषित किया !
4. बौद्ध धर्म के कारण स्थापत्य कला का विकास हुआ जिसमें चैत्य विहार एवं सपूतों का निर्माण किया गया !
5. बौद्ध धर्म से चित्र कला का विकास हुआ जिसके तहत अजंता, अलोरा की गुफाएं मिलती है !
6. बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण किया गया जिसमें मूर्ति कला का विकास हुआ गांधार मूर्तिकला, मथुरा मूर्तिकला आदि
7. भगवान बुद्ध ने अहिंसा पर बल दिया जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण रहा !
8. भगवान बुद्ध ने मध्यम मार्ग का प्रतिपादन किया जो हमारे व्यवहारिक जीवन में अत्यंत ही महत्वपूर्ण है !
5. बौद्ध धर्म से चित्र कला का विकास हुआ जिसके तहत अजंता, अलोरा की गुफाएं मिलती है !
6. बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण किया गया जिसमें मूर्ति कला का विकास हुआ गांधार मूर्तिकला, मथुरा मूर्तिकला आदि
7. भगवान बुद्ध ने अहिंसा पर बल दिया जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण रहा !
8. भगवान बुद्ध ने मध्यम मार्ग का प्रतिपादन किया जो हमारे व्यवहारिक जीवन में अत्यंत ही महत्वपूर्ण है !
9.पालि एवं अन्य स्थानीय भाषाओं का विकास हुआ बौद्ध धर्म का प्रचार विदेशों में हुआ जिसे भारतीय संस्कृति फली फूली !
बौद्ध धर्म के पतन के कारण :-
1. बौद्ध संघ में आपसी फूट / बौद्ध धर्म अनेका अनेकानेक शाखाओं में विभक्त हो गया !
2. बौद्ध धर्म में अंधविश्वास एवं आडंबर फैल गए थे !
3. कालांतर में बौद्ध धर्म में वज्रयान एवं यहां एवं कालचक्रयान जैसी शाखाओं का उद्भव हुआ, जिसमें अंधविश्वास एवं कला जादू का विशेष महत्व था जिससे बौद्ध धर्म का दुष्प्रचार हुआ !
4. ब्राह्मण धर्म में सुधारवादी आंदोलन चलाया गया!
2. बौद्ध धर्म में अंधविश्वास एवं आडंबर फैल गए थे !
3. कालांतर में बौद्ध धर्म में वज्रयान एवं यहां एवं कालचक्रयान जैसी शाखाओं का उद्भव हुआ, जिसमें अंधविश्वास एवं कला जादू का विशेष महत्व था जिससे बौद्ध धर्म का दुष्प्रचार हुआ !
4. ब्राह्मण धर्म में सुधारवादी आंदोलन चलाया गया!
5. कुमारिल भट्ट एवं शंकराचार्य जैसे दर्शा सैनिकों का योगदान
6.राजकीय संरक्षण का अभाव
WRITTEN BY DK EDUCATUION
6.राजकीय संरक्षण का अभाव
WRITTEN BY DK EDUCATUION
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